बेतवा नदी में 6 माह बाद फिर जलधार फूट पड़ी है। यह नदी अपने उद्गम स्थल झिरी-बहेड़ा में ही सूख चुकी थी। इस मामले को लेकर 22 मार्च को खबर प्रकाशित की। इसके बाद जिम्मेदार हरकत में आए। झिरी गांव में मुख्य उद्गम के अलावा 5 और झिर हैं। इनमें से 2 झिर अभी सक्रिय हैं। इन्हीं झिर के पास 15 दिन पहले बोरी बांधकर दो अस्थायी चेकडैम बनाए गए।
इनसे पानी ठहरने लगा। इससे भूजल स्तर बढ़ा और बेतवा नदी के मुख्य उद्गम स्थल से फिर से पानी की धार निकल पड़ी। रायसेन जिला पंचायत और रायसेन वन मंडल के अधिकारी यहां बेतवा के उद्गम के सूखने के कारण पता लगाने के साथ ही इसका समाधान खोज रहे थे।
रायसेन की जिला पंचायत सीईओ अंजू भदौरिया ने बताया कि अब वाटर टेबल सुधारने के लिए एक साल का एक्शन प्लान बनाया जा रहा है। इसमें वन विभाग की मदद ली जा रही है। योजना के तहत आदिवासियों को वनाधिकार में मिली जमीन पर खेत तालाब बनाने के लिए राजी किया जा रहा है। अब तक 8 आदिवासी किसान तैयार हो गए हैं। राज्य सरकार की ओर से इन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी। ये तालाब सिंचाई और मछली पालन दोनों के लिए उपयोगी होंगे।
वन विभाग झिरी गांव के आसपास के पहाड़ों में कंटूर ट्रेंच (छोटे तालाब) बनाएगा। डीएफओ हेमंत रैकवार ने बताया कि इसके लिए कुछ साइट्स का सर्वे किया गया है। झिरी की सभी 6 झिरों के 50 मीटर के दायरे में तार फेंसिंग कराई जाएगी ताकि छेड़छाड़ न हो।
वन विभाग की मदद से ग्रामीण विकास विभाग ने झिरी गांव में एक अमृत सरोवर मंजूर किया है। इसके लिए जगह की तलाश की जा रही है। यह सरोवर आसपास के लोगों की पानी की जरूरत पूरी करेगा। इससे बोरवेल खुदवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही, जन चौपाल लगाकर ग्रामीणों को पौधरोपण और जल संरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा।